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GST , जीएसटी का इतिहास, जीएसटी (GST) क्‍या हैं?, प्रत्‍यक्ष कर (Direct Tax)?

 


  GST

·     जीएसटी का इतिहास

जीएसटी को पहली बार भारतीय संविधान में 101वें संशोधन के माध्‍यम से 1 जुलाई, 2017 को भारत में लागू किया गया था। हालॉंकि, एक अवधारणा के रूप में, जीएसटी को 2000 में वापस गढ़ा गया था, जब एक नए और सर्वव्‍यापी अप्रत्‍यक्ष कर कानून का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया गया था, इस नए शासन के लिए अपेक्षित पृष्‍ठभूमि प्रौद्योगिकी और रसद की स्‍थापना की गई थी। इस सुझाव को केलकर समिति ने भी समर्थन दिया।

                      अप्रैल 2017 तक, भारत के कई राज्‍यों ने भी संबंधित राज्‍य वस्‍तु और सेवा कर विधेयक पारित कर दिया, इसलिए 1 जुलाई, 2017 को, वस्‍तु और सेवा कर अंतत: देश भर में लागू किया गया। 

                                                 कर प्रणाली को और अधिक संरचित बनाने के लिए, इस एकल ढांचे से व्‍यवसायों, एसएमई, एमएसएमई और उपभोक्‍ताओं के लिए सुविधा हुई है। जीएसटी लागू करने से कर अनुपालन स्‍तर, पारदर्शिता, पहुंच और विदेशी निवेश को बढ़ावा मिला है जीएसटी।

·     जीएसटी (GST) क्‍या हैं?

·       वस्‍तु एवं सेवा कर (Goods and Service Tax) एक अप्रत्‍यक्ष कर (Indirect Tax) है।

·       जीएसटी एक एकीकृत कर है जो वस्‍तुओं और सेवाओं दोनों पर लगेगा।

·       जीएसटी लागू होने से पूरा देश, एकीकृत बाजार में तब्‍दील हो जाएगा और ज्‍यादातर अप्रत्‍यक्ष कर जैसे केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क (Excise), सेवा कर (Service Tax), वैट (Vat), मनोरंजन, विलासिता, लॉटरी टैक्‍स आवद जीएसटी में समाहित हो जाएंगे।

·       इससे पूरे भारत में एक ही प्रकार का अप्रत्‍यक्ष कर लगेगा।

·     प्रत्‍यक्ष कर (Direct Tax)?

·       प्रत्‍यक्ष कर वो कर होता है जिसे जिस व्‍यक्ति पर आरोपित किया जाता है, उसी से उसे वसूला जाता है! अर्थात वह कर जिसे आपसे सीधे तौर पर वसूला जाता है उसे प्रत्‍यक्ष कर कहते है!

·       उदाहण- आय कर, कृषि कर, व्‍यवसाय कर, धन कर, संपत्ति कर, निगम कर, भू-राजस्‍व कर, पूंजी लाभ कर, उपहार कर।

·     अप्रत्‍यक्ष कर (Indirect Tax)?

·       ऐसे कर को अप्रत्‍यक्ष कर कहा जाता है, जिसका मौद्रिक भार दूसरों पर डाला जाता है अर्थात कर का वास्‍तविक भार उस व्‍यक्ति पर नहीं पडता जो उसे अदा करता है।

·       उदाहण- Excise Tax (उत्‍पाद कर), Custom Tax (सीमा शुल्‍क), Services Tax (सेवा कर), Market Tax/Vat (बाजार कर), Entertainment Tax (मनोरंजन कर), Sales Tax (बिक्री कर), Stamp Duty (स्‍टाम्‍प शुल्‍क)। 

·     क्‍यों जरूरी है जीएसटी?  

·       भारत का वर्तमान कर ढांचा (Tax Structure) बहुत ही जटिल है।

·       भातर संविधान के अनुसार मुख्‍य रूप से वस्‍तुओं की बिक्री पर कर लगाने का अधिकार राज्‍य सरकार और वस्‍तुओं के उत्‍पादन व सेवाओं पर कर लगाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है।

·       इस कारण देश में अलग-अलग तरह प्रकार के कर लागू है, जिससे देश की वर्तमान कर व्‍यवस्‍था बहुत ही जिटल है।

·       कंपवनयों और छोटे व्‍सवसायों के लिए विभिन्‍न प्रकार के कर कानूनों का पालन करना एक मुश्किल होता है।

·       GST केवल अप्रत्‍यक्ष करों को एकीकृत करेगा, प्रत्‍यक्ष कर जैसे आय-कर आदि वर्तमान व्‍यवस्‍था के अनुसार ही लगेंगे।

·       एक राज्‍य से दूसरे राज्‍य में वसतुओं और सेवाओं की बिक्री की स्थित में आईजीएसटी (एकीकृत वस्‍तु एवं सेवाकर) लगेगा।

·       आईजीएसटी का एक हिस्‍सा केंद्र सरकार और दूसरा हिस्‍सा वस्‍तु या सेवा का उपभोग करने वाले राज्‍य को प्राप्‍त होगा।

·       व्‍यवसायी खरीदी गई वस्‍तुओं और सेवाओं पर लगने वाले जीएसटी की इनपुट क्रेडिट ले सकेंगे जिनका उपयोग वे बेचीं गई वस्‍तुओं और सेवाओं पर लगने वाले जीएसटी के भुगतान में कर सकेंगे।

·       GST के तहत उन सभी व्‍यवसायी, उत्‍पादक या सेवा प्रदाता को रजिस्‍टर्ड होना होगा जिन की वर्षभर में कुल बिक्री का मूल्‍य एक निश्चित मूल्‍य से ज्‍यादा है।

·       प्रस्‍तावित जीएसटी में व्‍यवसायियों को मुख्‍य रूप से तीन अलग-अलग प्रकार के टैक्‍स रिटर्न भरने होंगे जिसमें इनपुट टैक्‍स, आउटपुट टैक्‍स और एकीकृत रिटर्न शामिल है।

·     CGST, SGST और  IGST क्‍या हैं?

·       CGST, SGST और IGST गुड्स और सर्विस टेक्‍स के ही पार्ट है जो भारत में 1 जुलाई से लागु होंगे।

·       राज्‍य के भीतर माल बेचने पर CGST (Central Goods and Service Tax) तथा SGST (State Goods and Service Tax) लगेगा। उदाहरण- यदि कोई राजस्‍थान का वयक्ति राजस्‍थान के वयक्ति को माल बेचता है और उस वस्‍तु और वस्‍तु पर GST की Rate 18% है तो  9% CGST तथा 9% SGST लगेगा।

·       और यदि माल राज्‍य के बाहर के व्‍यक्ति को बेचा जाता है तो 18% की दर से  IGST लगेगा। 

·     कौन-कौन लोग जीएसटी के दायरे में आएंगे।

·       1. 20 लाख रुपये या उससे कम सालाना कारोबार करने वाले जीएसटी के दायरे में नहीं आएंगे। पूर्वोत्‍तर और विशेष दर्जा वाले राज्‍यों जैसे जम्‍मू-कश्‍मीर, उत्‍तराखंड और हिमाचल प्रदेश में ये सीमा 10 लाख रुपये होगी। ऐसे कारोबारी चाहे तो जीएसटी के लिए रजिस्‍ट्रेश्‍न करा सकते हैं। ऐसा करने पर उन्‍हे इनपुट टैक्‍स क्रेडिट का फायदा मिलेगा।

·       2. 20 लाख रुपये से ज्‍यादा (विशेष दर्जा वाले राज्‍यों में 10 लाख रुपये) के सालाना कारोबार करने वालों को जीएसटीएन पर अपने पैन के जरिए रजिस्‍ट्रेश्‍न कराना होगा।

·       3. 20 लाख रुपये से ज्‍यादा लेकिन डेढ़ करोड़ रुपये से कम तक का सालाना कारोबार करने वाले 90 फीसदी व्‍यापारी, कारोबारी, उद्यमी राज्‍य सरकार के नियंत्रण में आंएंगे जबकि बाकी 10 फीसदी केंद्र सरकार के तहत कारोबारियों की चयन लॉटरी के जरिए होगा।

·       4. डेढ़ करोड़ रुपेय से ज्‍यादा का सालाना कारोबार करने वालों में आधे राज्‍य सरकार के अधीन होंगे जबकि बाकी केंद्र सरकार के अधीन कौन से कारोबारी किसके अधीन आएंगे। इसका फैसला भी लॉटरी के आधार पर होता है।

·       पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस अभी बाहर है। लेकिन तकनीकी तौर पर ये समझना जरुरी है कि ये संविधान में संशोधन के बाद हैं जीएसटी की दायरे में, लेकिन जीएसटी काउंसिल का फैसला है कि इन पर जीएसटी कुछ समय बाद ही लागू होगा। तब तक मौजूदा व्‍यवस्‍था के तहत केंद्र सरकारें और राज्‍य सरकारें उनपर कर लगाती रहेंगी।

·       शराब पूरी तरह से बाहर है। बकायदा संविधान संशोधन बिल मे इसका जिक्र है। मतलब ये हुआ कि पहली जुलाई के बाद पूर्व की तरह राज्‍य सरकारें उत्‍पाद शुल्‍क लगाती रहेंगी।

·       शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं जीएसटी से पूरी तरह बाहर हैं।

·       GST (वस्‍तु और सेवा कर) में Tax Rates तय कर दी गयी हैं और इन  GST Rates को मोटे तौर पर 5 भागों (Slabs) में बांटा गया है- 0%, 5%, 12%, 18% 28%

·       आवश्‍कताओं और रोजमार्रा की वस्‍तुओं और सेवाओं पर कम टैक्‍स दरें रखी गयी हैं वहीं विलासिता की वस्‍तुओं और सेवाओं पर GST की Rates High रखी गई हैं।

·       GST की अधिकतम दर 28% रखी गयी हैं और करीब 19% वस्‍तुएं ऐसी हैं जिन पर 28% की दर से GST लगता हैं।

·       जीएसटी के बाद ज्‍यादात्‍तर वस्‍तुएं सस्‍ती होंगी और सेवाएँ महींगी होंगी। 

·     वस्‍‍तुएँ (Goods) जिन पर कोई टैक्‍स नहीं लगेगा-0%

·       रोजमर्रा के सामने जैसे दूध, आटा, बेसन, ब्रेड, प्रसाद, नमक, बिंदी, सिंदूर, बटर मिल्‍क, दही, शहद, फल एवं सब्जियां, फ्रेश मीट, फिश, चिकन, अंडा, स्‍टांप, न्‍यावयक दस्‍तावेज, प्रिंटेड बुक्‍स, अखबार, और चूडि़या जैसे रोजमर्रा के सामान पर जीएसटी से बाहर रखे गए हैं। 

·     सेवाएँ (Services) जिन पर कोई टैक्‍स नहीं लगेगा-0%

·       Hotels and lodges with tariff below Rs1,000.

·     वस्‍तुएं (Goods) जिन पर 5% की दर से टैक्‍स लगेगा।

·       ब्रांडेड फ़ूड जैसे ब्रांडेउ पनीर, फ्रोजन सब्जियां, कॉफी, चाय, फिश फिलेट, क्रीम, स्किम्‍ड मिल्‍ड पाउडर, मसाले, पिज्‍जा ब्रेड, साबूदाना, केरोसिन, कोयला, दवाएं, स्‍टेंट और लाइफबोट्स जैसी वस्‍तुएं।

·     सेवाएँ (Services) जिन पर 5% की दर से टैक्‍स लगेगा।

·        परिवहन सेवाएं (रेलवे, हवाई परिवहन), छोटे रेस्‍टोरेंट 5% श्रेणी के अंतर्गत होंगे क्‍योंकि उनका मुख्‍य इनपुट पेंट्रोलियम है, जो जीएसटी के दायरे से बाहर है। (Transport Services, Railways, Air Transport, Small  Restaurants will be under the 5% category because their main input is petroleum, which is outside GST ambit.)

·     वस्‍तुएं (Goods) जिन पर 12% की दर से टैक्‍स लगेगा।

·        सॉस, जस, भजिया, नमकीन, आयर्वेदिक दवाएं, जमे हुए मांस, बटरपैकेज्‍ड डाई फ्रटस, टूथ पाउडर,  अगरबत्‍ती, कलर बुक्‍स, पिक्‍चर बुक्‍स, छाता, सिलाई मशीन और सेल फोन जैसी जरूरी आइटम्‍स को 12% के स्‍लैब में रखा गया है। 

·     सेवाएँ (Services) जिन पर 12% की दर से टैक्‍स लगेगा।

·        Non-AC होटल, बिजनेस क्‍लास हवाई टिकट, उर्वरक, कार्य अनुबंध 12% जीएसटी के अंतर्गत आएंगे।  (Non-AC Hotels, business class air ticket, fertilizers, Work Contracts will fall under 12% GST)

 ·      वस्‍तुएं (Goods) जिन पर 18% की दर से टैक्‍स लगेगा।

·       जैम, सॉस, सूप, आइसक्रीम, इंस्‍टैट फ्रूट मिक्‍सेज, मिनरल वॉटर, फ्लेवर्ड रिफाइंड शुगर, पास्‍ता, कॉनाफ्लेक्‍स, पेस्‍ट्रीज और केक, टिशू, नोट बुक्‍स, स्‍टील प्रॉडक्‍ट्स, प्रिंटेड सर्किट्स, कैमरा, स्‍पीकर और मॉनिटर्स जैसी जरूरी आइटम्‍स को 18के स्‍लैब में रखा गया है।

·     सेवाएँ (Services) जिन पर 18% की दर से टैक्‍स लगेगा।

·       AC hotels that serve liquor, Telecom services, IT services, Branded garments and financial services will attract 18 per cent tax under GST.

·       पेंट, डीओडरन्‍ट, शेविंग क्रीम, हेयर शैम्‍पू, डाइ, सनस्‍क्रीन, वॉलपेपर, सेरेमिक टाइल्‍स, च्‍युइंगम, गुड़, कोको चॉकलेट, पान मसाला, वातित जल, वॉटर हीटर, डिशवॉशर, सिलाई मशीन, वॉवशंग मशीन, एटीएम, वेंडिंग मशीन, वैक्‍यूम क्‍लीनर, ऑटोमोबाइल्‍स, मोटरसाइकल, निजी इस्‍तेमाल के लिए एयरक्राफ्ट और नौकाविहार को लग्‍जरी मानते हुए सबसे अधिक टैक्‍स लेने का फैसला किया गया है।

·     सेवाएँ (Services) जिन पर 28% की दर से टैक्‍स लगेगा।

·       5-Star hotels, race club betting, cinema will attract tax 28 per cent tax slab under GST.

·       नोट- सोना-चांदी के लिए विशेष दर 3 फीसदी है जब कि मंहगी गाडि़यां, लग्‍जरी गुड्स वगैरह पर 15 फीसदी की दर से अतिरिक्‍त सेस लगाने का प्रस्‍ताव है।

·       सेस से जो कमाई होगी, उसका इस्‍तेमाल राज्‍यों को जीएसटी लागू होने की सूरत में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए होगा। उम्‍मीद है कि सेस से करीब 50 हजार करोड़ रुपये की कमाई होगी।

·     कितने प्रकार (Types) के GST Return File करने होंगे?

·       एक सामान्‍य टैक्‍सपेयर को GST में हर Return File करने होंगे और वर्ष के अंत में एक रिटर्न File करना होगा।

·       इस प्रकार एक सामान्‍य टैक्‍सपेयर को वर्ष में करीब 37 रिटर्न फाइल करने होंगे।

·       इस प्रकार कम्‍पोजीशन स्‍कीम वाले टैक्‍सपेयर को आसानी होगी और वर्ष में केवल 5 ही फाइल करने होंगे।

·     जीएसटी का आम लोगों पर प्रभाव।

·       अप्रत्‍यक्ष करों का भार अंतिम उपभोक्‍ता को ही वहन करना पड़ता है। वर्तमान में एक ही वस्‍तुओं पर विभिन्‍न प्रकार के अलग-अलग टैक्‍स लगते है लेकिन जीएसटी आने से सभी वस्तुओं और सेवाओं पर एक ही प्रकार का टैक्‍स लगेगा जिससे वस्‍तुओं की लागत में कमी आएगी।

·       हा‍लांकि इससे सेवाओं की लागत बढ़ जाएगी।

·       दूसरा सबसे महत्‍वपूण लाभ यह होगा कि पूरे भारत में एक ही रेट से टैक्‍स लगेगा जिससे सभी राज्‍यों में वस्‍तुओं और सेवाओं की कीमत एक जैसी होगी।

·       Goods and Service Tax Law (GST) लागू होने से केंद्रीय सेल्‍स टैक्‍स (सीएसटी), जीएसटी में समाहित हो जाएगा जिससे वस्‍तुओं की कीमतों में कमी आएगी।

·     जीएसटी का व्‍यवसायों पर प्रभाव।

·       वतामान में व्‍यवसायों को अलग-अलग प्रकार के अप्रत्‍यक्ष करों का भुगतान करना पड़ता है जैसे वस्‍तुओं के उत्‍पादन करने पर उत्‍पाद शुल्‍क, ट्रेडिंग करने पर सेल्‍स टैक्‍स, सेवा प्रदान करने पर सर्विस टैक्‍स अदि होते है।

·       इससे व्‍यवसायों को विभिन्‍न प्रकार के कर कानूनों की पालन करनी पड़ती है जो कि बहुत ही मुश्किल एवं जटिल कार्य है। लेकिन जीएसटी के लागू होने से उन्‍हें केवल एक ही प्रकार का अप्रत्‍यक्ष क़ानून का पालन करना होगा जिससे भारत में व्‍यवसाय में सरलता आएगी।

·       वर्तमान में व्‍यवसायी, उत्‍पाद शुल्‍क व सेवा कर के भुगतान में बिक्री कर की इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर) का उपयोग नहीं कर सकता और बिक्री कर के भुगतान में सेवा कर सेवाओं पर चुकाए गए कर और उत्‍पाद शुल्‍क ख़रीदे गए माल पर लगे उत्‍पाद शुल्‍क की क्रेडिट का उपयोग नहीं कर सकता।

·       इस कारण वस्‍तुओं और सेवाओं की लागत बढ़ जाती है। लेकिन जीएसटी के लागू होने से व्‍यवसायीयों को सभी प्रकार की खरीदी गयी वस्‍तुओं और सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी की पूरी क्रेडिट मिल जाएगी जिसका उपयोग वह बेचीं गयी वस्‍तुओं और सेवाओं पर लगे जीएसटी के भुगतान में कर सकेगा। इससे लागत में कमी आएगी।

·     बैकिंग में जीएसटी के क्‍या लाभ है?

·       बैकिंग में जीएसटी के लाभों का पता लगाने से पहले, आइए पहले यह समझे कि बैंकिंग में जीएसटी क्‍या है। ग्राहकों और वित्‍तीय संस्‍थानों को बढ़े हुए कराधान से राहत प्रदान करने वाली कई बैंकिंग सेवाओं पर जीएसटी से छूट दी गई है। यह छूट देश के विकास को सक्षम करने वाली वित्‍तीय वृद्यी को बढ़ावा देती है। यह छूट सभी नागरिकों के लिए उनकी आय की परवाह किए वित्‍तीय समावेशन को आकर्षित करती है। जीएसटी छूट से कम आय वाले व्‍यक्तियों और छोटे व्‍यवसायों को लाभ होता है। एक आवश्‍यक क्षेत्र होने के नाते, बैंकिंग उदयोग देश की अर्थव्‍यवस्‍था में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। बैंक जीएसटी के अधीन हैं, आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं और अन्‍य करों का भुगतान करते हैं। हालांकि कुछ सेवाओं के लिए छूट बैंकों के लिए फायदेमंद है।

·     GST के तहत नए अनुपालन क्‍या हैं?

·       जीएसटी रिटर्न के ऑनलाइन  फाइलिंग के अलावा, जीएसटी शासन ने इसके साथ कई नई प्रणालियों को पेश किया है।

·       ई-वे (E-Way Bill) बिल

जीएसटी ने ई-वे बिल की शुरुआत के द्वारा एक तरह से केंद्रीकृत प्रणाली शुरू की। इस प्रणाली को 1 अप्रैल 2018 को सामान की अंतर-राज्‍य आवाजाही के लिए और 15 अप्रैल 2018 को सामान की अंतर-राज्‍य आवाजाही के लिए शुरू किया गया था।

                                    ई-वे बिल प्रणाली के तहत, निर्माता, व्‍यापारी और ट्रांसपोर्टर्स प्‍लेस ऑफ ओरिजिन से डेस्टिनेशन तक ले जाने वाले सामान के लिए ई-वे बिल जेनरेट कर सकते हैं जो कि एक आम पोर्टल पर आसानी से उपलब्‍ध हैं। कर अधिकारियों को भी इससे लाभ होता है क्‍योंकि इस प्रणाली से चेकपोस्‍ट पर कम समय लगता है और कर चोरी को कम करने में मदद मिलती है।

·       ई-इनवॉइसिंग (E-Invoicing)

ई-इनवॉइसिंग प्रणाली को 1 अक्‍टूबर 2020 से उन व्‍यवसायों के लिए लागू किया गया था, जिनका किसी भी पिछले वित्‍तीय वर्ष (2017-18) में 500 करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक कुल कारोबार है। इसके अलावा, 1 जनवरी 2021 से इस प्रणाली को उन लोगों के लिए बढ़ा दिया गया जिनका वार्षिक कुल कारोबार 100 करोड़ रुपये से अधिक से अधिक है। वर्तमान में इसे 1 अप्रैल 2021 से 50 करोड़ रुपये से लेकर 100 करोड़ रुपये तक के वार्षिक कुल कारोबार वाले लोगों के लिए बढ़ाया गया है।

                         इन व्‍यवसायों को GSTIN के चालान रजिस्‍ट्रेशन पोर्टल पर अपलोड करके प्रत्‍येक Business to Business चालान के लिए एक यूनिक इनवॉइस रिफरेन्‍स नंबर प्राप्‍त करनी चाहिए। पोर्टल चालान की सत्‍यता और वास्‍तविकता की पुष्टि करता है। इसके बाद यह एक क्‍यू आर कोड के साथ डिजिटल हस्‍ताक्षर का उपयोग करने को अधिकृत करता है।

                                                                     ई-इनवॉइसिंग इनवॉइस की इंटरऑपरेबिलिटी की अनुमति देता है और एंट्री एरर्स को कम करने में मदद करना है। इसे आईआरपी से सीधे जीएसटी पोर्टल और ई-वे बिल पोर्टल पर चालान की जानकारी ट्रांसफर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसलिए यह GSTR-1 दाखिल करते समय मैन्‍युअल डाटा एंट्री की आवश्‍यकता को समाप्‍त कर देगा और ई-वे बिल के निर्माण में भी मदद करेगा। 

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